नेटिव नेशन : नेटिव गण राज्य : हिन्दुतान के सभी गणराज्यो के प्रमुख थे सत्य हिन्दू धर्मी भगवन शिव। उन्हें गणराज भी कहा जाता है , जो बाद में उनका बीटा बना जिसे गणपति भी कहा गया। गणराज्य नेटिविज़्म की ही देन , बुद्ध, महावीर के समय भी थे हिन्दू गणराज्य , बुद्ध के पिता शुद्धोधन थे शाक्य गणराज के राजा , बुद्ध भी नेटिव गणराज्य वेवस्था को सर्वोत्तम मानते थे। पर आज जो है वो नेटिव गणराज्य नहीं विदेशी ब्राह्मण और जयचंदो का राज है जो मशीन में गोलमाल कर बनाया गया है और जिस का तोड़ सविधान में भी दिखाई नहीं देता क्यों की इस देश के मुलभुत समस्या विदेशी ब्राह्मण , ब्राह्मण धर्म , ब्रह्मिणवाद को समाप्त करने के बजाय लोगो ने विदेशी brahmino se हाथ मिलाना बेहत्तर समजा और देश की दुर्गति कर दी। हमें नेटिव गण राज्य चाहिए , जिसे हम नेटिव नेशन कहते है जिसमे विदेशी ब्राह्मण कभी नहीं हो सकते है। यही है हमारा नेटिविज़्म और नेटिव हिंदुत्व। हिन्दू वही , जो ब्राह्मण नहीं। गणराज्य वही जहा विदेशी ब्राह्मण नहीं। नेटिविस्ट डी.डी.राउत , अध्यक्ष नेटिव रूल मूवमेंट
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Showing posts from November, 2017
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We say Videshi Brahmins Quit India ! Why we celebrate 15 th August as Independence day ? It is because we got independence from videshi British on this day . Now the question is when we will get independence from Videshi Brahmins ? And why we should not fight for that under the banner of Native Rule Movement ? Native Rule Movement is following Nativism as Guru and Native Hindutva as Guide ! In Hindustan no body followed Nativism in true sense . Bal Thakare followed Bhashawad and not Nativism , DK , DMK followed Bhashawad and not Nativism . None of them said Videshi Brahmins Quit India or said Brahmin Dharm is separate from Hindu Dharm . None of them said Janeu Chhodo , Bharat Jodo or Hindutva Vahi , jisme Videshi Brahmin Bilkul Nahi . Nativist D.D.Raut said first time in Hindustani history that Hindu Vohi , Jo Brahmin Nahi !He rejected Videshi Brahmin Dharm books namely Vedas and Brahmin Law Manusmriti and very clearly said only Holy Bijak , the holy...
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विदेशी किरवत ब्राह्मण भी ब्राह्मण ही और हमारे दुश्मन : विदेशी ब्राह्मण धर्म में वर्ण और जाती , भेदभाव , ऊंचनीच , अस्पृश्यता है यह बात कहते रहे है। ब्राह्मण धर्म और हिन्दू धर्म अलग अलग है ये बात भी हम कहते रहे है। किरवत यानि मरणोत्तर उत्तर क्रिया करने वाले ब्राह्मण को ब्राह्मण धर्म में तुच्छा , अस्पृश्य माना जाता है यह हमारे ये कहने का प्रमाण है की विदेशी ब्राह्मण धर्म वर्ण और जातिवादी है। हिन्दू धर्म में वर्ण , जाती आदि भेदाभेद नहीं है। ब्राह्मण धर्म और हिन्दू धर्म अलग अलग है। ब्राह्मण धर्म के धर्म ग्रन्थ है वेद , मनुस्मृति , हिन्दू धर्म के ग्रन्थ है कबीर का बीजक , आंबेडकर का हिन्दू कोड बिल। किरवत ये मराठी शब्द है , जो क्रिया करने वाला के लिए प्रयुक्त किया गया है। ये कोंकणी सब्द है जो विदेशी ब्राह्मण के लिए कहा जाता है जो मृत व्यक्ति का उत्तर क्रिया करता है जैसे अग्नि देना , चिटा रचना, कुछ वैदिक और पौराणिक मन्त्र बोलना ,दस क्रिया , १३ वि करना अड्डी काम उसके होते है , वो मृत के कुछ वास्तु , सोने , चांदी की जो मृत के अर्थी प...
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नेटीव्हीसम स्वतंत्र विचार सरणी : नेटिव्हिसम नेटिव्ह हिंदुत्व एक स्वतंत्र विचार सरणि आहे , हा विचार नेटिविस्ट डी डी राऊत नि नेटिव्ह रुल मोव्हमेन्ट च्या माध्यम तुन , मूळ भारतीय विचार मंच वर व नेटिव्ह पीपल'स पार्टी या राजकीय पक्षा करीत जवळ जवळ ४० वर्ष पासून मांडला आहे . या विचारात आंबेडकरवाद , गांधीवाद , मार्क्सवाद , समाजवाद आदी कोणत्याही विचार चा लवलेश हि नाही व त्या वर अवलंबून नाही . कुठलीही व्यक्ती शी हा नेटीव्हीसम हा विचार संबंधित नाही . या पूर्वी हा विचार कोणीही मांडला नाही , या विचारात केवळ नेटीव्हीसम हाच गुरु आहे व नेटिव्ह हिंदुत्व आमचे मार्गदर्शन आहे . आम्ही आमचे विचार मांडतो , ज्यांनी त्यांनी आप आप ले विचार मांडावे , लोकांना जे योग्य वाटतील ते ते घेणार . आम्ही ब्राह्मीनाना विदेशी मानतो , हिंदू धर्म व ब्राह्मण धर्म वेग वेगाडे आहेत असे आमचे मत आहे . वर्णवादी , जातीवाद ब्राह्मण धर्मात असून वर्ण , जाती , भेदभाव कबीरांनी सांगितलेल्या बीजक या सत्य हिंदू धर्मात नाही असे आमचे पक्के मत आहे , हिंदू कोण तर जो ब्राह्मण नाही असे आमचे म्हणणे आहे .हेच आमचे नेटिव्ह हिंदुत्व होय . आम्ही...
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नॉन ब्रह्मिनो की पोलिटिकल पार्टी बहुत है पर उद्देश्य क्या ? स्वतंत्र के पहले और बाद में भी बहुत सारे गैर ब्रह्मिनो ने पोलिटिकल पार्टी बनायीं थी , साउथ में डीके ,महाराष्ट्र में रिपब्लिकन पार्टी , फिर बसप , लालू , मुलायम , नितीश , शारद यादव के जयप्रकाश नारायण से जुड़ ने बाद टूट में बानी सप , रजद और कांग्रेस से टूट कर बानी शरद पवार की कांग्रेस राष्ट्रवादी , ठाकरेki शिव सेना , मानसे पर उनकी क्या सोच रही है / क्या उद्देश्य रहा है ? यहाँ तक कुछ पार्टी तो कभी कांग्रेस के साथ तो कभी बीजेपी के साथ जाते हुवे दिखाई देते है। कुछ पार्टी ने तो सीधे सीधे विदेशी ब्रह्मिनो को न्योता दिया , बड़े पद पर उन्हें बिठाया और दूसरी तरफ लोगो को बेवकूफ भी बनाते रहे , उन्हें ब्राह्मण वाढ से लढना है। जरा सोच के देखिये अगर गाँधी ये कहते उन्हें ब्रिटिश नहीं ब्रिटिश वाद से परेशानी है तो क्या यह देश स्वतंत्र होता ? स्वतंत्रता के क्या मायने है ? विदेशी शाशन से मुक्ति , स्वराज , नेटिव रूल / कितने गैर ब्राह्मण लोगो ने स्थापित पार्टी का ये उद्देश्य है ? जरा सभी पार्टी पर नजर डालें , ये लोग आप को बेवकूफ समजते ...
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अंगारो पर चलने वाले का नाम है नेटिव , काटो से खेलने वाले का नाम है नेटिव , वज्रको जमीं में गाड़ दे वो नाम है नेटिव , ब्रह्मास्त्र को तोड़ मरोड़ दे वो नाम है नेटिव। हुवा नहीं है पैदा अभी नेटिव को मिटने वाला, हुवा नहीं है पैदा अभी नेटिव को हटाने वाला , हिन्द - सिंद की पहली पहचान है नेटिव, इस धरती-वतन का सच्चा लाल है नेटिव। नेटिविस्ट डी.डी.राउत
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गाँधी और आंबेडकर विचार देश के उज्जवल भविष्य के लिए घातक : गाँधी और आंबेडकर विचार के दुष्परिणाम से जब तक हम हिंदुस्तान को निकालेंगे नहीं , यहाँ विदेशी ब्राह्मण बना रहेगा , राज करता रहेगा। गाँधी और आंबेडकर ने कभी स्वतंत्र पद्धति से देश की समस्या पर चिंतन नहीं किया। उनपर विदेशी ब्रह्मिनो ने जो भी लिखा कहा उसे स्वीकार कर वर्ण और जाती सिस्टम को हिन्दू धर्म का हिस्सा माना , ये उनकी सब से बड़ी भूल थी। जिस कारन वो विदेशी ब्राह्मण धर्म अलग है और नेटिव हिन्दू धर्म अलग है कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। ९७ % लोगो जो नेटिव हिंदुस्तानी है उनके साथ ३ टक्का विदेशी ब्राह्मण लोगो के लिए दूजैभाव और अन्याय किया गया। गाँधी - अमबड़ेकर विचार सही होते तो आज नेटिव लोग भिक नहीं मांगता वो भीkewal ३ टक्का विदेशी ब्रह्मिनो के आगे हाथ फैलाकर। हमें हिंदुस्तान को गाँधी - अमबेडकर विचार के दुष्परिणामों से जल्दी बाहर लाना होगा , नयी सोच , नया विचार , नेटिविज़्म हमारा गुरु है और नेटिव हिंदुत्व हमारा मार्गदर्शन कहना होगा। मुक्ति का यही पथ है , नेटिव रूल का यही पथ है न...
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पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे , पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे , जो बहुत ही पुरातन होने के कारण और सिन्दु हिन्दू संस्कृति के पहले से भी चले आने के कारन लोक धर्म ही मान जाता था जिस में समय समय पर कुछ बदलाव भी हुवे थे। मोठे तौर पर ऐसे शिव ने बनाया मान जाता है जिसे सिंधु संस्कृति ने बहुत आगे बढ़ाया , राम , कृष्णा , कबीर ने ऐसे जीवन में उतरा और कबीर ने अपनी वाणी बीजक में फिर एक बार सरल सब्दो में बताया। इस हिंदुस्तानी , हिन्दू धर्म में जो केवल एक ही धर्म था न कोई भेदभाव था। पर विदेशी ब्राह्मण अपना वैदिक ब्राह्मण धर्म के साथ हिंदुस्तान पर आक्रमण करने के बाद और सिन्दु - हिन्दू संस्कृति के तहस नहस करने के बाद उनका वैदिक ब्राह्मण धर्म केवल एक वर्ण - सवर्ण विदेशी ब्राह्मण मानते रहे। इस प्रकार, उस समय दो धर्म हिंदुस्तान में हुवे एक हिंदुस्तान के मूल हिंदुस्तानी लोगो का धर्म यानि हिन्दू धर्म और विदेशी वैदिक ब्रह्मिनो का वैदिक ब्राह्मण धर्म। ...