सभी हिन्दू लोग विदेशी ब्रह्मिनो के लिए अस्पृश्य रहे है :
विदेशी ब्रह्मिनो ने सर्व प्रथम सभी हिंदुस्तानी हिन्दू लोगो को अस्पृश्य माना ,असंबन्ध, उसके बाद थोड़े सम्बन्ध , चुनकर सम्बन्ध जैसे रास्ते अपनाकर केवल हिन्दू के चार विभाग किये अस्पृश्य , शूद्र , वैश्य , क्षत्रिय। खुद को ब्राह्मण धर्मी होने के कारण ब्राह्मण और सभी से अलग बनाये रखा। पुरातन काल में जिस देश को गोंडवान कहा गया उन गोंड , भिल्ल के देवता भगवान शिव को चांडाल कहा गया जो की अस्पृश्य या असंबन्ध लोगो की श्रेणी में रखा गया। इस प्रकार आज के सभी आदिवासी भी अस्पृश्य की हिन्दू श्रेणी में आते है और दूसरे गैर ब्राह्मण हिन्दू भी कभी अस्पृश्य ही रहे है। सेलेक्टिव सम्बन्ध के तहत विदेशी ब्रह्मिनो ने राज पुरुष , मालदार बेपारी और किसान - मजदुर- कारगर को शूद्र कर काम ज्यादा शोषण किया पर इन सभी से दुरी बनाये राखी।
आज हम यही कह सकते है की गैर ब्राह्मण हिन्दू है और नेटिव है। ब्राह्मण विदेशी है और उनका ब्राह्मण धर्म अलग है। यानि हिन्दू वोही , जो ब्राह्मण नहीं।
नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
विचारक ,
मूल भारतीय विचार मंच
विदेशी ब्रह्मिनो ने सर्व प्रथम सभी हिंदुस्तानी हिन्दू लोगो को अस्पृश्य माना ,असंबन्ध, उसके बाद थोड़े सम्बन्ध , चुनकर सम्बन्ध जैसे रास्ते अपनाकर केवल हिन्दू के चार विभाग किये अस्पृश्य , शूद्र , वैश्य , क्षत्रिय। खुद को ब्राह्मण धर्मी होने के कारण ब्राह्मण और सभी से अलग बनाये रखा। पुरातन काल में जिस देश को गोंडवान कहा गया उन गोंड , भिल्ल के देवता भगवान शिव को चांडाल कहा गया जो की अस्पृश्य या असंबन्ध लोगो की श्रेणी में रखा गया। इस प्रकार आज के सभी आदिवासी भी अस्पृश्य की हिन्दू श्रेणी में आते है और दूसरे गैर ब्राह्मण हिन्दू भी कभी अस्पृश्य ही रहे है। सेलेक्टिव सम्बन्ध के तहत विदेशी ब्रह्मिनो ने राज पुरुष , मालदार बेपारी और किसान - मजदुर- कारगर को शूद्र कर काम ज्यादा शोषण किया पर इन सभी से दुरी बनाये राखी।
आज हम यही कह सकते है की गैर ब्राह्मण हिन्दू है और नेटिव है। ब्राह्मण विदेशी है और उनका ब्राह्मण धर्म अलग है। यानि हिन्दू वोही , जो ब्राह्मण नहीं।
नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
विचारक ,
मूल भारतीय विचार मंच
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