लोग कहते है , राउत जमीन पर उतरकर काम करो ! मै उनके सुझाव का आभारी हूँ ! नेटिविस्ट डी डी राउत
मैं अपने विचार नेटिविज़्म , नेटिव हिंदुत्व , नेटिव रूल के लिए पिछले ४० वर्षोसे कार्यरत हूँ। सन १९७० में मैंने पौनी , शुक्रवारीवार्ड के बौद्धिक मंडल में सर्व प्रथम नेटिविज़्म , नेटिव हिंदुत्व , नेटिव रूल , नेटिव नेशन , नेटीवीटी , नेटिविस्ट आदि पर अपने विचार रखे।
जात , वर्ण , ऊंचनीच , भेदभाव यह विदेशी ब्राह्मण धर्म और ब्राह्मण लोगो की बिमारी है , नेटिव हिन्दू धर्म , हिन्दू समाज की देन नहीं और यह बिमारी बीमार को अलग कर ही इस से बचा जा सकता है यह विचार हमने दिया। इसका मतलब हुवा ३ प्रतिशत ब्राह्मण विदेशी है और बाकी गैर ब्राह्मण जो ९७ प्रतिशत है वे धर्म और देश से अलग अलग है। इससे सीधा संघर्ष बना। कुछ लोग जो सीधे , जमीनी संघर्ष से बचाना चाहते थे वे कहने लगे धर्मान्तर करो , कुछ कहने लगे ब्रह्मिनिस्म बुरा , ब्राह्मण बुरा नहीं ! कुछ गरीब , आमिर की बात करने लगे , किसी को रोजी , रोटी , कपड़ा , मकान , दवा दारू , शिक्षा , महगाई ये मुद्दे बड़े लगने लगे। ये सभी लोग सीधे सीधे कभी विदेशी ब्राह्मण , ब्राह्मण धर्म , वर्ण , जाती पर नहीं भिड़े !
नेटिविस्ट डी डी राउत ने पहली बार कहा हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग अलग है , ब्राह्मण विदेशी है , विदेशी ब्राह्मण भारत छोडो ! इस से बड़ी जमीनी लढाई क्या हो सकती है ? सीधी लड़ाई मतलब सीधा खतरा ! लोग नेटिविस्ट के विचारो से सुन कर खुश तो होते है पर लढना नहीं चाहते ! उन्हों ने नहीं लड़ने के बहाने ढूंढ लिए है और वे है १ ब्रह्मिनिस्म बुरा , ब्राह्मण बुरा नहीं २ बूद्ध , आंबेडकर के साथ अच्छे ब्राह्मण थे ३ मानवता की नजर से ब्राह्मण को शत्रु मत मानो ४ मन परिवर्तन करो ५ तकलीफ है तो धर्मान्तर करो पर ब्राह्मण से ना लडो। आदि आदि। लोग बूढ़े हो कर मरना चाहते है , बीमार हो कर मरना चाहते है , घुटघुट कर जीकर मरना चाहते है , पीढ़ी दर पीढ़ी , आने वाली पीढ़ी को दुखो में छोड़ कर मरना चाहते है पर नेटिविस्ट की तरह नहीं जीना चाहते , क्यों की इस जीवन में पल पल ३ प्रतिशत विदेशी ब्रह्मिनो से जीवन को खतरा है।
हम तो कानसेन ,तानसेन की मूवमेंट नहीं चलते जो कहते है इस ने ये कहा , वो कहा , लम्बी लम्बी बाते बताई जाती है , पर एक सच्चाई नहीं बताई जाती और वो है ब्राह्मण विदेशी है , वो हिन्दू नहीं , हिंदुस्तानी नहीं , उसका धर्म ब्राह्मण धर्म और नेटिव हिन्दू धर्म अलग अलग है , वर्ण , जाती , भेदभाव , छुवाछुत , ब्राह्मण रेपिस्ट गोड्स ब्राह्मण धर्म में है , हिन्दू धर्म में नहीं , हिन्दू का एक मात्र धर्म ग्रन्थ है कबीर का बीजक !
हमने नेटिव रूल मूवमेंट के तहत इस काम को अंजाम देने के लिए मूल भारतीय विचार मंच , सत्य हिन्दू धर्म सभा , नेटिव पीपल्स पार्टी बनायीं। हम ने कहा जन सेनानी बनो , हमें केवल ५००० ऐसे युवा दो जो अपने आप को नेटिविस्ट घोषित करे , अपने घर के दरवाजे पर अपने नाम के आगे नेटिविस्ट लिखे ! अभी कोई मिला नहीं !
हम पूछते है , किस बात का डर ?
नेटिविस्ट डी डी राउत ,
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट
#नेरुमो
मैं अपने विचार नेटिविज़्म , नेटिव हिंदुत्व , नेटिव रूल के लिए पिछले ४० वर्षोसे कार्यरत हूँ। सन १९७० में मैंने पौनी , शुक्रवारीवार्ड के बौद्धिक मंडल में सर्व प्रथम नेटिविज़्म , नेटिव हिंदुत्व , नेटिव रूल , नेटिव नेशन , नेटीवीटी , नेटिविस्ट आदि पर अपने विचार रखे।
जात , वर्ण , ऊंचनीच , भेदभाव यह विदेशी ब्राह्मण धर्म और ब्राह्मण लोगो की बिमारी है , नेटिव हिन्दू धर्म , हिन्दू समाज की देन नहीं और यह बिमारी बीमार को अलग कर ही इस से बचा जा सकता है यह विचार हमने दिया। इसका मतलब हुवा ३ प्रतिशत ब्राह्मण विदेशी है और बाकी गैर ब्राह्मण जो ९७ प्रतिशत है वे धर्म और देश से अलग अलग है। इससे सीधा संघर्ष बना। कुछ लोग जो सीधे , जमीनी संघर्ष से बचाना चाहते थे वे कहने लगे धर्मान्तर करो , कुछ कहने लगे ब्रह्मिनिस्म बुरा , ब्राह्मण बुरा नहीं ! कुछ गरीब , आमिर की बात करने लगे , किसी को रोजी , रोटी , कपड़ा , मकान , दवा दारू , शिक्षा , महगाई ये मुद्दे बड़े लगने लगे। ये सभी लोग सीधे सीधे कभी विदेशी ब्राह्मण , ब्राह्मण धर्म , वर्ण , जाती पर नहीं भिड़े !
नेटिविस्ट डी डी राउत ने पहली बार कहा हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग अलग है , ब्राह्मण विदेशी है , विदेशी ब्राह्मण भारत छोडो ! इस से बड़ी जमीनी लढाई क्या हो सकती है ? सीधी लड़ाई मतलब सीधा खतरा ! लोग नेटिविस्ट के विचारो से सुन कर खुश तो होते है पर लढना नहीं चाहते ! उन्हों ने नहीं लड़ने के बहाने ढूंढ लिए है और वे है १ ब्रह्मिनिस्म बुरा , ब्राह्मण बुरा नहीं २ बूद्ध , आंबेडकर के साथ अच्छे ब्राह्मण थे ३ मानवता की नजर से ब्राह्मण को शत्रु मत मानो ४ मन परिवर्तन करो ५ तकलीफ है तो धर्मान्तर करो पर ब्राह्मण से ना लडो। आदि आदि। लोग बूढ़े हो कर मरना चाहते है , बीमार हो कर मरना चाहते है , घुटघुट कर जीकर मरना चाहते है , पीढ़ी दर पीढ़ी , आने वाली पीढ़ी को दुखो में छोड़ कर मरना चाहते है पर नेटिविस्ट की तरह नहीं जीना चाहते , क्यों की इस जीवन में पल पल ३ प्रतिशत विदेशी ब्रह्मिनो से जीवन को खतरा है।
हम तो कानसेन ,तानसेन की मूवमेंट नहीं चलते जो कहते है इस ने ये कहा , वो कहा , लम्बी लम्बी बाते बताई जाती है , पर एक सच्चाई नहीं बताई जाती और वो है ब्राह्मण विदेशी है , वो हिन्दू नहीं , हिंदुस्तानी नहीं , उसका धर्म ब्राह्मण धर्म और नेटिव हिन्दू धर्म अलग अलग है , वर्ण , जाती , भेदभाव , छुवाछुत , ब्राह्मण रेपिस्ट गोड्स ब्राह्मण धर्म में है , हिन्दू धर्म में नहीं , हिन्दू का एक मात्र धर्म ग्रन्थ है कबीर का बीजक !
हमने नेटिव रूल मूवमेंट के तहत इस काम को अंजाम देने के लिए मूल भारतीय विचार मंच , सत्य हिन्दू धर्म सभा , नेटिव पीपल्स पार्टी बनायीं। हम ने कहा जन सेनानी बनो , हमें केवल ५००० ऐसे युवा दो जो अपने आप को नेटिविस्ट घोषित करे , अपने घर के दरवाजे पर अपने नाम के आगे नेटिविस्ट लिखे ! अभी कोई मिला नहीं !
हम पूछते है , किस बात का डर ?
नेटिविस्ट डी डी राउत ,
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट
#नेरुमो
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